Khwabgaah.....
Tuesday, September 6, 2011
कुछ यूहीं ...
"रेत की तकदीर भी क्या बुलंद है ,,,
लाख चाह कर भी किसी की मुठ्ठी में नहीं आती..पर...
क्या लगातार कितने ही हांथों से फिसलते हुए वो थक नहीं जाती..!!"
कभी किसी की छोटी सी छुवन उसमें भी सिहरन तो पैदा करती ही होगा ..!!,तब ???..."
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