Saturday, September 3, 2011

शायद..


 "आज ये जो सन्नाटे की कालिख़ चेहरे पे चिपकती सी जा रही है....
वो शायद,,,
मेरी आँखों के किनारों पर काली सी लकीर बन सकती थी...
...................................................................तुम्हारे होने भर से... "

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