Monday, January 16, 2012

रोज़..








आज कल सपने ऐसे आधे अधूरे आते हैं ,
जैसे किसी ने झूठे करके छोड़ दिए दिए हों।..

देर  रात जब सबके यही जूठे सपने नींद बटोर के लाती है,
             तब चाँद मेरे कंधे से सिर हटा के धीरे से कहता है..
                           ..........सो जाओ,मैं कल फिर यहीं मिलने आऊंगा...


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