Khwabgaah.....
Friday, April 20, 2012
ख़लल ....
कभी-कभी यूहीं चलते-चलते एक जानी-पहचानी सी खुशबू घेर सी लेती है...
.....अरसों पहले बीते वक़्त की खुशबू.....
न जिसके रंग याद आते है,न ही शक्ल-सूरत ..
और एक बार फिर से दिमाग में बस ख़लल सा पड़ के रह जाता है..
........हमेशा की तरह.
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