Khwabgaah.....
Saturday, June 23, 2012
अज़ीब ...
उन पत्तों की 'कहानी' भी क्या है ...
जो सूख के अलग तो हो गए ,पर..
ख़त्म नहीं हुए अब तक !
...............
अब बारिश की बूंदों से वो हरे नहीं हो रहे ......
.........बल्कि सड़ रहे है !!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment