Sunday, June 2, 2013

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अब एहसास हुआ जाके ,,,,,
सही तो है ग़र कहते थे वो की खुली किताब है ज़िन्दगी उनकी ...
चंद पन्ने चुराए थे उनसे मज़ाक मैं मैंने कभी ,
अरसों बाद किसी जिल्द से चिपके आज मिले हैं ! 


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